रविवार, 19 मई 2013

चरित्र को समझिए ना...


तीन क्रिकेटरों पर स्पॉट फिक्सिंग के आरोप हैं. अब जोरों का शोर है कि आईपीएल पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए... वे ज्यादा जोर से कह रहे हैं जो संसद में बैठते हैं लेकिन सीधे आईपीएल से उनका कोई सरोकार नहीं है, लेकिन उन्हीं के भाई बंधू बचाव कर रहे हैं जो किसी न किसी (सीधे या परोक्ष) रूप में इससे जुड़े हैं... अगर 162 आपराधिक प्रवृति वालों से संसद पर दाग नहीं लगता तो सिर्फ तीन पर आरोप लगने से क्रिकेट पर दाग कैसे लग जाता है भैया...
और बताइए कि जब नेताओं की रैलियों में लड़कियों के नाचने से संस्कृति खराब नहीं होती तो आईपीएल में चीयरलीडर्स के नाचने से संस्कृति पर डाका कैसे पड़ जाता है...
जब बड़े बड़े नेता जी (अक्सर रिटायरमेंट के करीब वाले) के अश्लील वीडियो आने से किसी के कानों पर जूं नहीं रेंगती तो युवा क्रिकेटर अगर किसी के साथ कुछ पल गुजारता है आपत्ति क्यों होने लगती है भाई...

चरित्र को समझिए ना...
एक वीके सिंह थे.. उनकी उम्र को लेकर कितना बवेला मचा था... लेकिन अपने प्रधानमंत्री की उम्र को लेकर कहीं कोई चर्चा नहीं... पिछली बार राज्यसभा का पर्चा दाखिल करते समय वे 74 साल के थे और 6 साल बाद इस बार नॉमिनेशन के वक्त उनकी उम्र 82 साल है। आखिर नेताओं के रिटायरमेंट की उम्र की सीमा जो नहीं होती... 6 साल के दौरान उम्र 8 साल बढ़ जाये तो किसी को क्यों आपति होनी चाहिए भला... विवाद तो सेना प्रमुख के पद को लेकर था... देश के प्रमुख की उम्र में 2 साल की हेराफेरी तो चलती है यार...

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