बुधवार, 23 जून 2010

क्या हमें भी डरना चाहिए?

हरियाणा में प्रेम विवाह करने वालों के बुरे अंजाम की खूब खबरें चलायी हमने। कभी सगोत्र विवाह करने वाले प्रेमी युगलों की हत्या की खबरें तो कभी एक ही गांव में शादी करने के बाद हुए विवाद की खबरें। खाप पंचायतों के भाईचारे में पिसते प्रेमी प्रेमिकाओं की खबरें। इश्क को सब कुछ मान लेने वालों के टूटते ख्वाबों की खबरें। हमारे लिए वो सिर्फ खबरें थीं, इससे ज्यादा कुछ नहीं। ना तो उनमें भावनाएं जुड़ती थीं, और ना ही कोई हमदर्दी पैदा होती थी, क्योंकि खाप पंचायतों के शिकार हुए लोगों में से कोई भी अपना नहीं था। ना ही भौगोलिक एकता थी, यहां भारतीय होने के नाते आने वाली एकजुटता गायब हो चुकी थी, क्योंकि मामला दूसरे राज्यों का था। हालांकि दिल्ली के पड़ोस का था, लेकिन इमोशनल अटैचमेंट नहीं हो पाया था। पंजाब के जालंधर में बिहारी दंपत्ति की ऑनर किलिंग ने हल्की सी जुंबिश पैदा की थी क्योंकि मैं भी बिहार की पैदाइश हूं। लेकिन ऑनर किलिंग का दायरा बढ़ने लगा। राजधानी दिल्ली तक पहुंच गया। पहले स्वरूप नगर में प्रेमी प्रेमिका को करंट लगाकर मार दिया गया। जैसाकि दूसरे मामलों में होता है- लड़की के पिता और चाचा ने ही इस घिनौनी करतूत को अंजाम दिया। अशोक विहार में हुई दूसरी वारदात में चार साल पहले अंतरजातीय विवाह करने वाली मोनिका और उसके पति की हत्या कर दी गई। दो दिन बाद ही यहां से मोनिका की कजन की लाश भी मिली, आरोप लगा इनके भाईयों पर। पुलिस इनकी तीसरी बहन के संपर्क में है। उसने भी प्रेम विवाह किया है। वो खतरे में है। हत्या के आरोपी भाई फरार हैं। क्या ऐसे और भी भाई हैं, जो राखी बंधवा कर अपनी बहन की रक्षा करने की कसमें खाने के बाद भी उनके ही खून से अपने हाथ रंगने को तैयार बैठे हैं। दिल्ली में इस तरह की वारदातों के बाद अब हम प्रेम विवाह करने वालों को डर लगने लगा है...