गुरुवार, 29 जुलाई 2010

चामलिंग का नामची!

जोरथांग से आगे निकलते ही लगने लगा कि सिक्किम पहुंच गये हैं। दो लेन वाली चिकनी और चौड़ी सड़क ने बता दिया था कि यहां विकास की बयार देखने को मिलेगी। सड़क के किनारे लगे सरकारी विज्ञापनों के साइन बोर्ड। जिन पर सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी थी। कुछ ही किलोमीटर के अंतराल पर लगे छोटे छोटे बोर्ड ये बता रहे थे कि आगे सरकारी स्कूल है, संभल कर जाएं। आम तौर पहाड़ांे पर गाड़ियां बीस या तीस किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से चलती हैं, लेकिन यहां औसत चालीस-पचास का था। जोरथांग से सिर्फ बीस किलोमीटर की दूरी पर है राज्य के मुख्यमंत्री पवन चामलिंग का शहर नामची। हमें मुश्किल से आधा घंटा लगा वहां तक पहुंचने में, और पहुंचते ही यह समझ में आया कि क्यों पवन चामलिंग लगातार चौथी बार राज्य के मुखिया बन सके। शहर के प्रवेष द्वार पर ही सूचना विभाग का ऑफिस मानों बता रहा था कि आपको यहां किसी तरह की दिक्कत नहीं होने दी जाएगी। नामची शहर में सवारी गाड़ियों का प्रवेष प्रतिबंधित है। शहर में सिर्फ लोकल टैक्सियांे से ही सफर किया जा सकता है। लेकिन शहर से बाहर आने-जाने के लिए तीन स्टैंड हैं, जहां से दार्जिलिंग, गंेगटोक और सिलीगुड़ी के लिए आसानी से सवारी गाड़ी मिल जाती है। अच्छा लगा। दिल्ली में जहां ऑटो वाले किराया बढ़ाने के बावजूद आज भी मनमानी करते हैं, वहीं पूरे सिक्किम में सवारी के लिए सिर्फ टैक्सियां ही दिखाई पड़ती हैं, जिनका रेट फिक्स है और गरीब से गरीब आदमी भी इनका ही इस्तेमाल करता है। यहां के लोगों के चेहरे पर संतोष का भाव दिखता है, जितनी कमाई हुई, वो पेट भरने के लिए काफी है, इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए। आमतौर पर हर राज्य का मुख्यमंत्री अपने गृह नगर को लेकर चौकस रहता है। मनपसंद अधिकारियों की तैनाती से लेकर हर मामले में, लेकिन पवन चामलिंग का ये प्रेम शहर के चौक चौराहों पर दिखाई देता है। नामची के सेंट्रल मार्केट में आधुनिक पार्क, पार्क में बड़ा सा इक्वेरियम, संगीतमयी रंगीन फव्वारा, पूरा फर्श ग्रेनाइट पत्थर से सुसज्जित। मार्केट में किसी भी गाड़ी को आने की इजाजत नहीं है। वन वे ट्रैफिक सिस्टम है। कहीं कोई जाम नहीं। ना ही चिल्लपों। गाड़ियों के हॉर्न की आवाज नहीं सुनाई देती। मानों लोगों ने खुद ही प्रतिबंध लगा रखा हो। सुकुन मिलता है देखकर कि चंडीगढ़ के बाद दूसरा शहर भी है जिसकी यातायात व्यवस्था इतनी अच्छी है। सिक्किम की पूरी अर्थव्यवस्था केंद्र सरकार की मदद, पर्यटन और शराब व्यवसाय पर टिकी है। पर्यटन के बाद शराब उद्योग ही प्रदेश में सबसे बड़ा व्यवसाय है। राजधानी गेंगटोक से लेकर मुख्यमंत्री के होम टाउन तक। हर दूसरी दुकान शराब की है जहां बैठकर पीने-पिलाने की व्यवस्था भी है। राज्य का प्रमुख उद्योग होने की वजह से यहां शराब सस्ती भी है। राजधानी दिल्ली के सरकारी ठेकों की तरह कहीं भीड़ नहीं उमड़ती। लोग शराब खरीदने के लिए मारा-मारी करते नहीं दिखाई देते। नामची के ठेकों में सुबह खुलने के बाद से ही चहल-पहल शुरू हो जाती है। जो देर रात बंद होने के बाद ही खत्म होती है। यहां शराब खुलकर बिकती है, लेकिन सार्वजनिक स्थान पर सिगरेट पीने पर जुर्माना देना पड़ता है। पीने वालों के साथ साथ बेचने वाले को भी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है। देश की राजधानी में भले ही इसका पालन नहीं होता हो, लेकिन यहां ये कानून सख्तीस से लागू है। हालांकि लोगों ने इसका हल तलाश लिया है, वे बाजार से दूर जाकर अकेले में धूम्रपान करने लगे हैं। नामची शहर पहाड़ों के बीच बसा है। पूरे साल यहां पर्यटन का मजा लिया जा सकता है। यहां आप घर की बालकनी से भी प्राकृतिक सौंदर्य का रस ले सकते हैं। हल्की बारिश के और यहां पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए एक धार्मिक स्थल ‘चार धाम’ का विकास किया जा रहा है, जिसमें चारों धाम के दर्शन एक साथ किए जा सकेंगे। बैठी हुई मुद्रा में भगवान शिव की सैकड़ों फुट उंची प्रतिमा यहां का मुख्य आकर्षण है। अभी निर्माण कार्य चल रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि निर्माण के बाद दार्जीलिंग और गेंगटोक की तरह ही नामची अपने नाम से जाना जाएगा। मुख्यमंत्री पवन चामलिंग के नाम से नहीं। ‘चार धाम’ बनने के बाद एक बार नामची जरूर जाइएगा।