शनिवार को दिल्ली में दो नेत्रियों ने दहाड़ लगाई। दोनों अपने-अपने राज्य की मुखिया। एक तरपफ ममता थी तो दूसरी तरफ शीला। ममता फूफकार रही थी तो शीला चुप करा रही थी। मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई के विरोध में पश्चिम बंगाल से जंतर-मंतर पहुंची ममता बनर्जी ने जनता को आवाज लगाई और केंद्र सरकार को चेताया भी कि जंतर-मंतर की भीड़ में बंगाल से लाए हुए लोग नहीं हैं। अगर दो रेलगाड़ी भी भर कर ले आती तो क्या हाल होता? क्या ममता सच कह रही हैं? पश्चिम बंगाल से कोई नहीं आया? चलिए मान लेते हैं।

शीला की मानें तो मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई लागू करने वाला दिल्ली पहला राज्य हो सकता है। मनीष तिवारी भी कहते नहीं अघाते कि चीन ने 1992 में मल्टीब्रांड रिटेल में 100 पफीसदी एफडीआई दे दी थी। लेकिन हमारे नेताजी ये क्यों नहीं देखते कि चीन में कितनी बेरोजगारी है? एक आम चीनी नागरिक को जीने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ रहा है? नेताओं की मौज तो वहां भी वैसी ही है, जैसी अपने यहां है। प्रधानमंत्री की एक थाली 7,723 रुपये की!
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