शनिवार, 12 मार्च 2011

जापान में भूकंप-सुनामी

जापान में भुकंप-सुनामी
सिर्फ त्रासदी ही नहीं,
यह पुकार है प्रकृति की, उन स्वार्थी स्वर्ण पुतलों के प्रति
जो अपनी धन लिप्सा की खातिर
तबाह कर रहे हैं प्रकृति को।
अरे, लालची लोगों,
प्रकृति से डरो,
कुछ तो खौफ खाओ
कल जो कुछ वहां हुआ,
तुम्हारे यहां भी हो सकता है!
और प्रकृति ने क्या हाल किया है?
देखो -
गौर से देखो।
मत लड़ो प्रकृति से,
अगर कुछ कर सकते हो,
तो मदद करो उन पीड़ितों की,
जो अपना सर्वस्व गंवा चुके हैं।
मैं को छोड़ो,
हम कहो-
फिर देखना,
जीने का अलग ही आनन्द होगा,
हर सुबह दिनकर नये उत्साह से उदित होगा,
और तुम्हें भी सुकुन मिलेगा
सुकुन मिलेगा
सुकुन मिलेगा।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

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