बुधवार, 9 जनवरी 2013

खतरे में हरियाणा सरकार?



क्या बच पाएगी हरियाणा की कांग्रेस सरकार?  2009 में कांग्रेस की दोबारा सरकार बनवाने के लिए समर्थन देने वाले हजकां के 5 विधायकों के मामले में 13 जनवरी से पहले विधानसभा अध्यक्ष को फैसला सुनाना है. तब हजकां ने 6 सीटें जीती थी, जिनमें से 5 सरकार में शामिल हो गये. इन सभी को मंत्री या सीपीएस बना दिया गया. लेकिन अब जान सांसत में फंसी है. इनमें से 3 एक बार कांग्रेस की गोद में बैठे और 2 अलग-अलग. यानी पार्टी टूटने की बात भी सिरे नहीं चढ़ती. सारा दारोमदार विधानसभाध्यक्ष कुलदीप शर्मा पर है. उनके फैसले पर पूरे प्रदेश की निगाहें लगी हुई है. 13 जनवरी की तारीख ऐतिहासिक होने जा रही है. अगर कुलदीप शर्मा हजकां से टूट कर आये पांचों विधायकों के समर्थन को असंवैधानिक ठहराते हैं तब भी और उनके हक में फैसला सुनाते हैं तब भी. समर्थन को असंवैधानिक ठहराने पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर असंवैधानिक सरकार चलाने का आरोप अपने आप लग जाएगा और समर्थन को सही बताने पर दल-बदल कानून की धज्जियां उड़ना तय है.

अगर फैसला इन विधायकों के खिलाफ होता है तो सरकार के जाने का खतरा भी है. अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि इतने समय तक कांडा के जेल में रहने के पीछे भी मुख्यमंत्री हुड्डा का ही हाथ है. सूत्र बताते हैं कि प्रदेश के निर्दलीय विधायक हुड्डा सरकार से खुश नहीं हैं. गोपाल कांडा जेल में हैं, लेकिन उनके जन्मदिन पर सिरसा में जुटे 3 निर्दलीय विधायकों ने अपनी उपस्थिति से संकेत दे दिया है कि वे गोपाल कांडा के साथ हैं. ऐसे में हुड्डा चाहते हैं कि कांडा अपने समर्थक विधायकों सहित सरकार को समर्थन की चिट्ठी सौंप दें. अगर ऐसा नहीं होता और कांग्रेस को समर्थन देने वाले हजकां के पांचों विधायकों का समर्थन असंवैधानिक ठहरा दिया जाता है तो सिर्फ 40 सीटें जीतने वाली कांग्रेस के पास 3 और निर्दलीय विधायकों का ही समर्थन रह जाएगा. जबकि 90 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बचाने के लिए 46 सदस्यों का समर्थन जरूरी है.

ऐसे में इंतजार कीजिए विधानसभाध्यक्ष कुलदीप शर्मा के फैसले का. अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं. आखिर बलि के बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी?

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