यूं तो हर दूसरे-तीसरे दिन पापा से बात होती रहती है, लेकिन आज हुई
बात कुछ खास थी। सूर्योदय के साथ ही अखबार पढ़ने वाले पापा ने आज संयोग से ऑल
इंडिया रेडियो पर समाचार सुना था। कच्चे तेल के दाम 28 डॉलर प्रति बैरल हो जाने पर
अचरज जताने के लिए फोन किया था। प्रतिबंध हटने पर ईरान में तेल का उत्पादन बढ़ने के
बाद तेल के दाम और कम होने की संभावना पर भी वे ताज्जुब में थे। पापा इस बात को
लेकर परेशान थे कि दो साल पहले जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 140
डॉलर प्रति बैरल था और तब अपने यहां पेट्रोल 72 रुपए लीटर के करीब बिक रहा था और
डीजल 55 रुपए के करीब था। आज जब कच्चा तेल 28 डॉलर पर है और इसके और भी कम होने की
बात की जा रही है तब भी अपने यहां पेट्रोल का दाम 60 रुपए के आस-पास और डीजल करीब 47
रुपए ही है। उनका सरोकार इस बात से था कि आखिर, अपने यहां दाम कम क्यों नहीं हो
रहे? पापा ने तर्क भी दिया, कि जब वहां दाम
बढ़ते हैं तो सरकारें तुरत-फुरत में दाम बढ़ा देती है लेकिन जब दाम गिरते हैं तो
यहां के लोग कुंभकर्णी नींद में सो जाते हैं। दिक्कत तो है। आखिर महंगाई बढ़ रही
है। गांव में सुविधाएं हैं नहीं, ऐसे कैसे होगा स्टार्टअप इंडिया? पापा का ये सवाल आपसे भी है...