रविवार, 30 अगस्त 2009

कहाँ है महंगाई

लोग कहते हैं महंगाई बढ़ रही है। खाने से लेकर नहाने तक के सामान महंगे हो गये हैं। कम कमाने वालों को आटे दाल की कीमत चुकाने में पसीना आ रहा है। सब्जी और फलों की कीमतें एक समान हो गयी हैं। फूल गोभी और मटर तो सेब और अनार की कीमतों को टक्कर दे रहे हैं। महंगाई से लोगों की जेब ढीली हो रही है। आम आदमी महंगाई का रोना रो रहा है। सरकारें महंगाई काबू करने के उपाय करने के आ·ाासन दे रहीं हैं। लेकिन ये सिर्फ कोरे आ·ाासन ही साबित हो रहे हैं। महंगाई काबू नहीं हो रही है। बल्कि सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती ही जा रही है। महंगाई बढ़ रही है, लोग रूपयों के आंसू रो रहे हैं, कुछ ने तो अपने शौक की तिलांजलि भी दे दी है। महंगे होटलों में खाना बंद कर दिया है। रेस्टोरेंट जाना भी बंद कर दिया है। सिनेमा देखना बंद कर दिया। ताकि कुछ पैसे बचाकर स्थिति को मैनेज किया जा सके। लेकिन कुछ लोगों पर इस महंगाई का असर नहीं पड़ा है। आप कह सकते हैं कि पैसे वालों पर महंगाई का असर नहीं पड़ा है। नेताओं पर महंगाई का असर नहीं पड़ा है। इसके अलावा और भी कई ऐसे नाम भी हो सकते हैं जिन पर महंगाई का असर नहीं पड़ा है। लेकिन ऐसे "आम और गरीब' लोगों की भी संख्या कम नहीं है जिनपर महंगाई का असर नहीं पड़ा है, बल्कि उन्होंने महंगाई और मंदी के इस दौर को इंज्वाय किया है। वो भी जमकर। जी हां, आप कहेंगे कि आपसे झूठ कहा जा रहा है, लेकिन ये रत्ती भर भी झूठ नहीं है। सच है, कोरा सच। ये सच उतना ही बड़ा सच है जितना बड़ा सच महंगाई का बढ़ना है, जितना बड़ा सच खाने पीने के सामान में बढ़ोतरी का है। जी हां, दिल्ली सरकार के आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि लोगों ने महंगाई को इंज्वाय किया है। आबकारी विभाग ने 5.02ऽ ज्यादा कर वसूला है। यानी शराब के शौकीनों ने बिना महंगाई से डरे अपनी हर शाम को पूरा इंज्वाय किया। हालांकि होटलों में जाने से बचने वालों, सिनेमा जाने से बचने वालों की वजह से मनोरंजन और विलासिता कर में मामूली गिरावट आई है, लेकिन मदिरा के शौकीनों या कहें मदिरा के आदी लोगों ने मंदी और महंगाई के इस दौर में भी जमकर बोतलें खोली, और सिर्फ खोली ही नहीं, बल्कि जमकर डूबकी भी लगाई है। तो कोई बताए जरा, कहां है मंदी, और कहां है महंगाई?

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

इन साले आबकारी वालों ने मुझे कोई थैंक्स लेटर नहीं भेजा....!!!
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