शुक्रवार, 24 जुलाई 2009

देश का भविष्य

ये हमारे देश के भविष्य हैं। लेकिन इन्हें अपनी ही चिंता नही है। शाम ५ बजे स्कूल में छुट्टी के बाद या घर जा रहे हैं। घर पर इनके माता पिता इनका इन्तजार कर रहे होंगे। लेकिन इन्हें इससे क्या फर्क पड़ता है? इस तरह सफर करने से पहले हमारे देश का भविष्य ये भी नही सोचता कि अगर कहीं बस ने एक जोरदार झटका खाया या किसी गड्डे में इसका एक भी टायर चला गया तो देश का क्या होगा? भविष्य में कौन सम्हालेगा इस देश को?

आखिर हमारे देश का भविष्य इस तरह सफर क्यों कर रहा है? क्या उसके पास और कोई साधन नही है? क्या इस डीटीसी बस के बाद दूसरी बस नही आएगी? अगर आएगी तो फिर इतनी जल्दी क्या है? तनिक ठहर जाओ ए देश के भविष्य। कोई तुम्हारा इन्तजार कर रहा है। इतनी जल्दी किस बात की है? अभी तो देश बहुत ही इमानदार और मजबूत हाथों में है। हालांकि इन मजबूत हाथों की उम्र ज्यादा हो चुकी है। वे अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव पर हैं, उनके जाने के बाद तुम्हें ही तो देश का दायित्व संभालना है। तुम तो देश के भविष्य हो, आगे चल कर देश का भार तुम्हारे ही हाथों में आना है, तो इतनी जल्दी में क्यों हो? तनिक ठहर जाओ, दूसरी बस का इन्तजार कर लो। और फिर तुमने तो अभी दुनिया भी नहीं देखी है, देख लो, समझ लो। फिर आगे बढ़ जाना, लेकिन इतनी जल्दी तो न करो ऐ मेरे देश के भविष्य। आप भी इन्हें कुछ कहिए ना!

6 टिप्‍पणियां:

Mithilesh dubey ने कहा…

bahut acche rajan ji, aap ne us mudde ko uthaya jahan hamari nigahe pahuch nahi pati agar pahuch bhi jati hai to ham anjan bane dekhte rahte hai , aap ne thik hee kaha hai akhir ye hamara bhabishya hai. Accha lekh

Unknown ने कहा…

गाना बदलना पड़ेगा...
नन्हे-मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है...
मुट्ठी में है मौत हमारी...

हलाँकि देश के भविष्य कूड़ा भी बिन्ते हैं... भूखे भी रहते हैं...
उन्हें आप देश का भविष्य नहीं मानते क्या....

संगीता पुरी ने कहा…

चाहे मजबूरी की वजह से हो या शौकिया .. यह विडम्‍बना ही है कि हमारे देश का भविष्‍य इन हालातों से गुजर रहा है .. चिंता स्‍वाभाविक है।

राजन अग्रवाल ने कहा…

मानते है जयंत भाई, लेकिन उसके लिए भी एक तस्वीर का इन्तजार कर रहा हूँ, हमारे देश का भविष्य सिर्फ कूड़ा ही नहीं बिनता बल्कि, झाडू पोंछा, बर्तन धुलाई भी करता है. आँख खोल कर निकलें तो सड़क पर, हमारे आपके घरों में, कारखानों में हर जगह मिल जायेगा हमारे देश का भविष्य.

Brijesh Dwivedi ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है आपने.....
बच्चो के साथ साथ उनके माँ बाप को भी इस बारे में सोचना चाहिए....

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

विडम्‍बना.....!!