जब कभी बेचैन होता हूं,
अकेले में गमगीन होता हूँ,
तब मुझे याद आती हो
तुम।
दिन तो फ़िर भी कट जाता है,
रात नही कटने पाती है,
फ़िर तो मेरे सिरहाने में
आ जाती हो
तुम।
यूँ ही तारे गिनते गिनते,
खुली आँख ही सपने बुनते,
सपनो में मुस्काती हो,
मुझे सारी रात जगाती हो,
तुम।
देखता हूँ तुमको हरदम,
हरवक्त मेरे पास हो तुम,
सपना हो या,
सच हो मगर,
एक सुखद एहसास हो
तुम।
3 टिप्पणियां:
यूँ ही तारे गिनते गिनते,
खुली आँख ही सपने बुनते,
सपनो में मुस्काती हो,
मुझे सारी रात जगाती हो,
तुम।
ati sunder ...bhaawpurn
जिंदगी जब भी तेरी बज्म में लाती है हमें
ये ज़मीन चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें
एक हकीक़त को साफगोई से बयां करना कोई आपसे सीखे
आपही का
त्रिपुरारि
जिंदगी जब भी तेरी बज्म में लाती है हमें
ये ज़मीन चाँद से बेहतर नज़र आती है हमें
एक हकीक़त को साफगोई से बयां करना कोई आपसे सीखे
आपही का
त्रिपुरारि
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