सुपौल के एक छात्र ने कोसी क्षेत्र का नाम रोशन किया है। सनत आनंद (16) को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में काउंसिल फार साइंस एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च (सीएसआईआर) की तरफ से बुधवार को 70वें स्थापना दिवस समारोह में सम्मानित किया गया। सनत को 2011 का स्कूली बच्चों को नयी वैज्ञानिक खोज के लिए दिए जाने वाले सम्मान से सम्मानित किया गया है।
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुए समारोह में केंद्रीय मंत्री व्यालार रवि और सी.एन.आर. राव ने सनत को सर्टिफिकेट, ट्रॉफी, नकद 50 हजार रुपये और बेहद खास अंदाज में हाथ मिलाकर सम्मानित किया।
इस दौरान समारोह में मौजूद सनत के माता पिता के चेहरे पर गर्व का भाव देखने वाला था। इस दौरान सनत के स्कूल (वेलहैम ब्वॉयज स्कूल,देहरादून) के प्रिंसीपल की आंखे नम हो गई थी।
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुए समारोह में केंद्रीय मंत्री व्यालार रवि और सी.एन.आर. राव ने सनत को सर्टिफिकेट, ट्रॉफी, नकद 50 हजार रुपये और बेहद खास अंदाज में हाथ मिलाकर सम्मानित किया।
सनत ने एक ऐसी मशीन बनाई है, जो बिना किसी दूसरी मशीन की सहायता के भी जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) जैसा काम करती है। उन्होंने इसका नाम रखा है स्टैंडअलोन जीपीएस सिस्टम। यानी ऐसा जीपीएस जो बिना किसी मदद के भी किसी की लोकेशन का पता लगा सके।
गौरतलब है कि जीपीएस के लिए पूरी दुनिया सिर्फ अमेरिका पर ही निर्भर है। अमेरिका के 24 सेटेलाइट 24 घंटे काम करते हैं,जिसकी मदद से आज किसी भी आदमी की लोकेशन का पता पलक झपकते ही चल जाता है। अमेरिका के 24 सेटेलाइट पृथ्वी के चारों ओर मौजूद हैं। लेकिन सनत ने जो मशीन बनाई जिसे किसी सेटेलाइट की जरूरत नहीं है। यह पूरी तरह से सिर्फ और सिर्फ पृथ्वी की घूर्णन गति और चुंबकीय क्षेत्र पर ही निर्भर है। इस जीपीएस मशीन को किसी बाहरी मदद की जरूरत नहीं है।16 साल के सनत की ये मशीन भौगोलिक रूप से पिछड़े इलाकों, घने जंगलों और समुद्र में भी पता बता सकती है। इतना ही नहीं, इस नन्हें वैज्ञानिक के स्टैंडअलोन जीपीएस सिस्टम का ना तो पता लगाया जा सकता है और ना ही इसे जाम किया जा सकता है।
सनत का जन्म सुपौल के प्रतिष्ठित गिरधारी लाल मोहनका परिवार में हुआ। गिरधारी लाल मोहनका के बड़े बेटे और मुंबई में पोस्टेड सीनीयर सीआईएसएफ कमाडेंट शिव कुमार मोहनका सनत के पिता हैं। सनत की शुरुआती पढ़ाई पटना के सेंट डोमिनिक सेवियो हाईस्कूल में हुई। बेगूसराय में पिता की पोस्टिंग के दौरान वे डीएवी स्कूल के भी छात्र रहे। पिता के बार बार तबादलों के बावजूद सनत ने अपनी शिक्षा का स्तर बनाए रखा। और एनसीईआरटी का नेशनल टैलेंट सर्च इक्जामिनेशन स्कॉलरशिप भी पाई। सनत को फिजिक्स के रहस्य और गणित से जूझने में मजा आता है। बेटे की इस उपलब्धि पर परिजन बेहद खुश हैं। शिव कुमार मोहनका को अपने बेटे की इस खोज पर गर्व है। अपने बेटे की उपलब्धि पर वे कहते हैं-‘पढ़ाई-लिखाई सनत को विरासत में मिली है। इसके दादा बीएसएस कॉलेज, सुपौल के प्रिंसीपल रह चुके हैं। चाचा शरद मोहनका सुपौल में ही वकालत करते हैं। ऐसे में सनत तमाम ऊंचाईयों को छूएगा।’
वेलहैम ब्वॉयज स्कूल, देहरादून में 11वीं में पढ़ने वाले सनत की चर्चा अमेरिका तक में हो चुकी है। विज्ञान में उनकी रूचि और क्षमता को देखते हुए अमेरिका के एक बड़े स्कूल वाचासे अकेडमी ने देहरादून में उनका इंटरव्यू किया और उन्हें सीधे11वीं में विज्ञान विषय लेने का ऑफर दिया। लेकिन देश से दूर नहीं जाने की इच्छा की वजह से सनत ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया। वो भी तब जबकि अकेडमी उन्हें अच्छी खासी छात्रवृत्ति भी दे रही थी।
विज्ञान भवन में हुए इस समारोह में 11 युवा वैज्ञानिकों को विज्ञान और तकनीकि में विशेष योगदान के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार-2012 से सम्मानित किया गया।
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